2. आलम ए अरवाह

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आलम ए अरवाह।

             वह स्थान जहाँ अल्लाह सर्वशक्तिमान ने हज़रत ह ० आदम  की पीठ से उन सभी पुरुषों और महिलाओं की आत्माओं के अंश को निकाला, जो पुनरुत्थान के दिन तक उनके वंशजों के रूप में दुनिया में आती रहेंगी।  और उन से वचन लिया। कि वे एक अल्लाह (जिसका कोई साथी नहीं) की पूजा करेंगे, और उन्हें गवाह बनाया! स्वंम उनकी अपनी जानों  पर।  कि क्या मैं तुम्हारा रब नहीं हूँ! और सभी आत्माओं ने कहा। बेशक! हम कबूल करते हैं। आप हमारे ईश्वर हैं,  और केवल आप की ही हम पूजा करेंगे।

            और  यही वह जगह है। जहाँ अल्लाह तआला ने  ह ० आदम  को पैदा किया, और फ़रिश्तों ने ह ० आदम को सजदा किया,  और इब्लीस के गले में एक धर्मत्यागी होने का अथार्थ  शैतान का निशान डाल दिया गया। क्योंकि पवित्र कुरान में आदम के बारे में तीन जगहों का जिक्र है।

  1. ह ० आदम (अ ० स) की रचना का स्थान।
  2. रचित स्थान से शर्त के साथ स्वर्ग में स्थानांतरित करने का आदेश।
  3. शर्त खंडित होने पर स्वर्ग से निकाल कर निश्चित अवधि के लिए पृथ्वी पर रहने का आदेश।

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رَّبِّ اَعُوۡذُ بِکَ مِنۡ ھَمَزٰتِ الشَّیٰطِیۡنِ ۙ وَ اَعُوۡذُ بِکَ رَبِّ اَنۡ یَّحۡضُرُوۡن ؕ۔

بِسۡمِ اللّٰهِ الرَّحۡمٰنِ الرَّحِيۡمِۙ۔

आलम ए अरवाह में आत्माओं के साथ ईश्वर का समझोंता।

وَاذْکُرُوْ انِعْمَةَ اللهِ عَلَیْکُمْ وَمِیْثَاقَهُ الَّذِیْ وَاثَقَکُمْ بِهٖ ۙ اِذْقُلْتُمْ سَمِعْنَا وَاَطَعْنَا  ؗ وَاتَّقُوا الله  ؕ  اِنَّ اللهَ عَلِیْمٌۢ بِذَاتِ الصُّدُوْرِ‏ ﴿۷﴾۔

[Q-05:07]

           और उन आशीषों को स्मरण रखो जो परमेश्वर ने तुम्हें दीये, और उस वचन को भी स्मरण रखो जिस से तुम बंधे हो। (अर्थात) जब तुमने कहा कि हमने (रब की आज्ञा) सुन ली, और हम रब के आदेशों के आज्ञाकारी हुए। और अल्लाह से डरो। इसमें कोई शक नहीं कि अल्लाह दिलों का हाल जानता है। (7)


وَ اِذۡ اَخَذَ رَبُّكَ مِنۡۢ بَنِىۡۤ اٰدَمَ مِنۡ ظُهُوۡرِهِمۡ ذُرِّيَّتَهُمۡ وَ اَشۡهَدَهُمۡ عَلٰٓى اَنۡفُسِهِمۡ‌ ۚ اَلَسۡتُ بِرَبِّكُمۡ‌ ؕ قَالُوۡا بَلٰى‌ ۛۚ شَهِدۡنَا ‌ۛۚ اَنۡ تَقُوۡلُوۡا يَوۡمَ الۡقِيٰمَةِ اِنَّا كُنَّا عَنۡ هٰذَا غٰفِلِيۡنَ ۙ‏ ﴿۱۷۲﴾ اَوۡ تَقُوۡلُوۡۤا اِنَّمَاۤ اَشۡرَكَ اٰبَآؤُنَا مِنۡ قَبۡلُ وَكُنَّا ذُرِّيَّةًمِّنۡۢ بَعۡدِهِمۡ‌ۚ اَفَتُهۡلِكُنَا بِمَا فَعَلَ الۡمُبۡطِلُوۡنَ‏ ﴿۱۷۳﴾۔  

[Q-07:172-173]

             और जब तुम्हारे रब ने आदम की सन्तान को उनकी पीठ से (रूहों की दुनिया में) निकाला और उन्हें उन्हीं की जानों पर स्वंम गवाह बनाया (अर्थात् उनसे पूछा), तो क्या मैं तुम्हारा रब नहीं हूँ? उन्होंने कहाः हम गवाह हैं (कि आप हमारे रब हो)। यह कबूलनामा इसलिए कराया गया ताकि क़यामत के दिन यह न कहा जाए। कि हे भगवान! हमें आपके बारे में जानकारी नहीं थी। (172) या कहें कि हमारे बाप दादा पहले से कुफ्र (अविस्वास) करते थे। और हम उनके बाद उनके वंशजों में से थे। तो, गलत काम करने वालों के कृत्यों (कर्मों) के कारण हमें क्यों मारा जाए?(173)

              यहाँ यह बात सिद्ध होती है कि जब अल्लाह तआला ने रूहों की दुनिया (आलम ए अरवाह) में आदम की पीठ से बीज निकाले और उन बीजों में आत्माएँ डाल दीं, अथार्थ, उन्हें जीवित कर दिया। और उन्हें भाषा भी दी। जो अनुबंध के निष्पादन के लिए आवश्यक थी। फिर उसने इन बीजों से आत्माओं को अलग किया और उन्हें आदम की पीठ में डाल दिया। अर्थात, पृथ्वी पर मनुष्य के जन्म से पहले एक जीवन और एक मृत्यु हो चुकी है। यह बात निम्नलिखित दो श्लोकों से सिद्ध होती है। . . . .

तीन बार जीवन दो बार मृत्यु।

وَيَقُوۡلُ الۡاِنۡسَانُ ءَاِذَا مَا مِتُّ لَسَوۡفَ اُخۡرَجُ حَيًّا‏ ﴿۶۶﴾  اَوَلَا يَذۡكُرُ الۡاِنۡسَانُ اَنَّا خَلَقۡنٰهُ مِنۡ قَبۡلُ وَلَمۡ يَكُ شَيۡـًٔـا‏ ﴿۶۷﴾۔

[Q-19:66-67]

              और आदमी कहता है! कि जब मैं मर जाऊँगा तो मुझे जीवित बाहर निकाला जाएगा? (66)  क्या इंसान को याद नहीं रहता?  कि हमने उसे पहले भी पैदा किया था। जबकि वह कुछ भी नहीं था। (67)

             यह आयत उस समय के लिए एक तर्क है! जब कोई व्यक्ति धरती पर जन्म लेने के बाद परलोक में पुनर्जीवित न होने के बारे में बड़े-बड़े दावे करता है। अल्लाह तआला फ़रमाता है: हमने तुम्हें इससे पहले भी (आत्माओं की दुनिया में) जीवित कर दिया था। जब तुम कुछ भी नहीं थे. (शायद अल्लाह कह रहा है कि उस समय तुम्हारे पास यह शरीर भी नहीं था)।

  قَالُوۡا رَبَّنَاۤ اَمَتَّنَا اثۡنَتَيۡنِ وَاَحۡيَيۡتَنَا اثۡنَتَيۡنِ فَاعۡتَرَفۡنَا بِذُنُوۡبِنَا فَهَلۡ اِلٰى خُرُوۡجٍ مِّنۡ سَبِيۡلٍ‏ ﴿۱۱﴾۔  

[Q-40:11]

             वे कहेंगे! कि ऐ हमारे रब, तू ने हम को दो बार मारा और दो बार जिलाया। हम अपने पाप स्वीकार करते हैं, क्या बचने का कोई रास्ता है? (11)

            यह आयत इस बात का प्रमाण है! कि पुनरुत्थान के दिन, जब लोग अल्लाह के सामने उपस्थित होंगे, तो वे दूसरी सांसारिक मृत्यु के बाद पुनर्जीवित होंगे। और स्वर्ग या नरक के लिए अनन्त जीवन पाएंगे। इस श्लोक में तीसरे जीवन का जिक्र शायद इसलिए नहीं है क्योंकि प्रथमत: उस जीवन में कोई मृत्यु नहीं होगी। द्वितीय: कि वे पहली दो जिंदगियों से जुड़े सवाल-जवाब के लिए वहां जुटेंगे। तृतीय! कि इस आयत में प्रश्न पूछने वाले पापी हैं। जिनको उस जीवन में कोई आनंद नहीं होगा।

           इस प्रकार एक व्यक्ति को आत्माओं की दुनिया में एक जीवन और मृत्यु, पृथ्वी पर एक जीवन और मृत्यु, और अंत में अमर जीवन की प्राप्ति होगी। जबकि पूज्य पिता आदम अ० सलाम और अम्मा हव्वा के दो जीवन और एक मृत्यु हैं।

1. आदम (अ ० स) की रचना का स्थान।

وَاِذۡ قَالَ رَبُّكَ لِلۡمَلٰۤٮِٕكَةِ اِنِّىۡ خَالـِقٌۢ بَشَرًا مِّنۡ صَلۡصَالٍ مِّنۡ حَمَاٍ مَّسۡنُوۡنٍ‏ ﴿۲۸﴾  فَاِذَا سَوَّيۡتُهٗ وَنَفَخۡتُ فِيۡهِ مِنۡ رُّوۡحِىۡ فَقَعُوۡا لَهٗ سٰجِدِيۡنَ‏ ﴿۲۹﴾  فَسَجَدَ الۡمَلٰۤٮِٕكَةُ كُلُّهُمۡ اَجۡمَعُوۡنَۙ‏ ﴿۳۰﴾۔

[Q-15:28-30]

             और जब तुम्हारे रब ने फ़रिश्तों से कहा: मैं बजती हुई मिट्टी के सड़े हुए गारे से एक इंसान बनाने वाला हूँ। जब मैं इसे (मानव अस्तित्व में) पूरा कर लूँ। और मैं उस में अपनी आत्मा डाल लूँ। तुम उसके लिये सजदा (दण्डवत) करना।

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2. शर्त के साथ स्वर्ग में रहने की आज्ञा।

وَقُلۡنَا یٰۤاٰدَمُ اسۡکُنۡ اَنۡتَ وَزَوۡجُکَ الۡجَنَّۃَ وَکُلَا مِنۡہَا رَغَدًا حَیۡثُ شِئۡتُمَا وَلَا تَقۡرَبَا ہٰذِہِ الشَّجَرَۃَ فَتَکُوۡنَا مِنَ الظّٰلِمِیۡنَ ﴿۳۵﴾۔

[Q-02:35]

            और हमने आदम से कहा, ऐ आदम, तुम और तुम्हारी पत्नी इस स्वर्ग में रहो और जहां से चाहो खाओ। लेकिन तुम दोनों को इस पेड़ के पास भी नहीं जाना चाहिए. ऐसा न हो कि तुम ज़ालिमों में से हो जाओ।


وَيٰۤاٰدَمُ اسۡكُنۡ اَنۡتَ وَزَوۡجُكَ الۡجَـنَّةَ فَـكُلَا مِنۡ حَيۡثُ شِئۡتُمَا وَلَا تَقۡرَبَا هٰذِهِ الشَّجَرَةَ فَتَكُوۡنَا مِنَ الظّٰلِمِيۡنَ‏ ﴿۱۹﴾۔

 [Q-07:19]

           और हे आदम! तुम और तुम्हारी पत्नी इस स्वर्ग में रहो और जहाँ से चाहो वहाँ से खाओ। लेकिन तुम दोनों को इस पेड़ के पास भी नहीं जाना चाहिए। नहीं तो तुम (अपने ऊपर) ज़ालिम बन जाओगे।

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3. शर्त तोड़ने पर स्वर्ग से पृथ्वी पर स्थानांतरित करने का आदेश।

فَاَزَلَّہُمَا الشَّیۡطٰنُ عَنۡہَا فَاَخۡرَجَہُمَا مِمَّا کَانَا فِیۡہِ ۪ وَقُلۡنَا اہۡبِطُوۡا بَعۡضُکُمۡ لِبَعۡضٍ عَدُوٌّ ۚ وَلَکُمۡ فِی الۡاَرۡضِ مُسۡتَقَرٌّ وَّمَتَاعٌ اِلٰی حِیۡنٍ ﴿۳۶﴾۔

[Q-02:36]

             फिर शैतान ने उन दोनों को (पेड़ के साथ शर्त के मामले में) गुमराह किया, और उन्हें उस स्वर्ग से निष्कासित करने की व्यवस्था की जिसमें वे थे। और हमने हुक्म दिया कि तुम सब (स्वर्ग से धरती पर) चले जाओ। (जहाँ) तुम एक दूसरे के शत्रु होगे और तुम्हारे लिए धरती में एक नियत समय के लिए निवास और जीविका है।


فَدَلّٰٮهُمَا بِغُرُوۡرٍ‌ ۚ فَلَمَّا ذَاقَا الشَّجَرَةَ بَدَتۡ لَهُمَا سَوۡءٰتُهُمَا وَطَفِقَا يَخۡصِفٰنِ عَلَيۡهِمَا مِنۡ وَّرَقِ الۡجَـنَّةِ‌ ؕ وَنَادٰٮهُمَا رَبُّهُمَاۤ اَلَمۡ اَنۡهَكُمَا عَنۡ تِلۡكُمَا الشَّجَرَةِ وَاَقُلْ لَّـكُمَاۤ اِنَّ الشَّيۡطٰنَ لَـكُمَا عَدُوٌّ مُّبِيۡنٌ‏ ﴿۲۲﴾  قَالَا رَبَّنَا ظَلَمۡنَاۤ اَنۡفُسَنَا؄ وَاِنۡ لَّمۡ تَغۡفِرۡ لَـنَا وَتَرۡحَمۡنَا لَـنَكُوۡنَنَّ مِنَ الۡخٰسِرِيۡنَ‏ ﴿۲۳﴾  قَالَ اهۡبِطُوۡا بَعۡضُكُمۡ لِبَـعۡضٍ عَدُوٌّ‌ ۚ وَلَـكُمۡ فِى الۡاَرۡضِ مُسۡتَقَرٌّ وَّمَتَاعٌ اِلٰى حِيۡنٍ‏ ﴿۲۴﴾  قَالَ فِيۡهَا تَحۡيَوۡنَ وَفِيۡهَا تَمُوۡتُوۡنَ وَمِنۡهَا تُخۡرَجُوۡنَ‏ ﴿۲۵﴾۔

[Q-07:22-25]

            इसलिये (शैतान मरदूद) ने उन्हें धोखा दिया और बहका दिया। जब उन दोनों ने इस वर्जित वृक्ष का फल खा लिया। तो उन दोनों के गुप्तांग उन्हें दिखाई देने लगे और वे जन्नत के (वृक्षों) के पत्ते तोड़-तोड़कर अपने शरीर ढकने लगे। फिर उनके रब ने पुकार कर पूछा? क्या हमने तुम्हें उस पेड़ के पास जाने से मना नहीं किया था? और हमने कहा! वह शैतान आपका खुला शत्रु है (22)।

           वे दोनों ईश्वर के सामने गिड़गिड़ाने लगे। कि हे हमारे प्रभु, हमने अपने प्राणों पर अन्याय किया है, यदि तू हमें क्षमा न करेगा। और हम पर दया न करेगा। तो हम नुकसान उठाने वाले हो जायेंगे।

[अर्थात आदम तथा ह़व्वा ने अपने पाप के लिये अल्लाह से क्षमा मांग ली। शैतान के समान अभिमान नहीं किया]

            ईश्वर ने कहा (तुम सब) स्वर्ग छोड़ दो। (अब से) तुम एक दूसरे के शत्रु होगे। और तुम्हारे लिए इस धरती में एक नियत समय तक रहना और जीविका है। (24)

            भगवान ने कहा! इसी (पृथ्वी) में तुम जीवित रहोगे, और इसी में तुम मरोगे, और इसी से तुम (प्रलय के दिन) निकाल लिये जाओगे। (२५)


 

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